Thursday, October 1, 2009

पन्ने यादों के

आज बैठ के किनारे पे चीर डाले, कुछ पन्ने
कुछ तुम्हारी यादों के, कुछ मेरी यादों के
वो कुछ भी, जो हो सकते थे हमारी यादों के...
पन्ने ही तो थे वो...


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2 comments:

  1. इतने कम शब्दों में इतनी दिलकश बात...मन मोह लिया आपने. उम्मीद है यूँ ही खूबसूरत पढने को मिलता रहेगा आगे भी.

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  2. Shukriya Puja. One of those thoughts which I wrote while thinking...

    Hopefully more will come...

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