कुछ प्रश्नों को सुना, खुद के भीतर,
कुछ छुपा डाले अपने ही अन्दर…
कुछ उत्तर सुन लिए, कुछ को कह डाला बेमानी....
प्रश्न है अब यह, कि कब मिलेंगे उत्तर?
...मिले तो क्या स्वीकार कर पाऊँगी,
...प्रश्न, उत्तर, उत्तरों की सचाई और अपने भीतर का डर.
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Tuesday, November 24, 2009
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