इस रेत पे चले हज़ारों कदम,
आज निशाँ इक कदम का भी नहीं.
इस रेत पे बरसा पानी अटूट,
आज बूँद कहीं इक भी नहीं.
इस रेत ने ही है समेटा,
मेरे आन्सुयों को बरसात के संग
इसी रेत ने ही मिटाये तेरे निशाँ मेरे दिल से
उन क़दमों के संग ही तो...
रेत समां ले फिर मुझे खुद में
या सिमट जा मेरी बाहों में
बस मेरी ही बन के...
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Monday, December 28, 2009
Sunday, December 20, 2009
within yet without...
the smile after crying all night
the tear which dried after I felt you
the touch of your good bye
the wet eyelashes in the sun
the soul of those steps you took
I looked at... each expression
and...
all these expressions were
you,
without you in me...
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the tear which dried after I felt you
the touch of your good bye
the wet eyelashes in the sun
the soul of those steps you took
I looked at... each expression
and...
all these expressions were
you,
without you in me...
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Tuesday, November 24, 2009
?!?!?
कुछ प्रश्नों को सुना, खुद के भीतर,
कुछ छुपा डाले अपने ही अन्दर…
कुछ उत्तर सुन लिए, कुछ को कह डाला बेमानी....
प्रश्न है अब यह, कि कब मिलेंगे उत्तर?
...मिले तो क्या स्वीकार कर पाऊँगी,
...प्रश्न, उत्तर, उत्तरों की सचाई और अपने भीतर का डर.
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कुछ छुपा डाले अपने ही अन्दर…
कुछ उत्तर सुन लिए, कुछ को कह डाला बेमानी....
प्रश्न है अब यह, कि कब मिलेंगे उत्तर?
...मिले तो क्या स्वीकार कर पाऊँगी,
...प्रश्न, उत्तर, उत्तरों की सचाई और अपने भीतर का डर.
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Saturday, November 7, 2009
जीवन, ज़िन्दगी, ज़िन्दगी, जीवन...
आ सीमटा है सब
'जीवन' शब्द में
प्यार तेरा , दुलार मेरा,
तेरी हँसी , मेरा मुस्कुराना,
चाहत मेरी, दुत्कार तेरी...
मेरा सिमटना...तुझ में,
तेरा हाथ छोड़ जाना..
चाह मेरी जीने की
तेरी चाह मार डालने की
जीवन,
ज़िन्दगी,
ज़िन्दगी,
जीवन...
Vim Copyright © 2009
originally written in June '08
'जीवन' शब्द में
प्यार तेरा , दुलार मेरा,
तेरी हँसी , मेरा मुस्कुराना,
चाहत मेरी, दुत्कार तेरी...
मेरा सिमटना...तुझ में,
तेरा हाथ छोड़ जाना..
चाह मेरी जीने की
तेरी चाह मार डालने की
जीवन,
ज़िन्दगी,
ज़िन्दगी,
जीवन...
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originally written in June '08
Thursday, October 1, 2009
पन्ने यादों के
आज बैठ के किनारे पे चीर डाले, कुछ पन्ने
कुछ तुम्हारी यादों के, कुछ मेरी यादों के
वो कुछ भी, जो हो सकते थे हमारी यादों के...
पन्ने ही तो थे वो...
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कुछ तुम्हारी यादों के, कुछ मेरी यादों के
वो कुछ भी, जो हो सकते थे हमारी यादों के...
पन्ने ही तो थे वो...
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Saturday, September 12, 2009
For you Maa
I was burnt in my agony,
when I left you Maa
You saw me standing...helpless
and I looked over your agony,
Just to let go of me,
...in the ocean of world
to be the one I am.
You were missed, always
and........now
....
You are always with me
You were always in me.
......
Life just happened to us!
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when I left you Maa
You saw me standing...helpless
and I looked over your agony,
Just to let go of me,
...in the ocean of world
to be the one I am.
You were missed, always
and........now
....
You are always with me
You were always in me.
......
Life just happened to us!
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Wednesday, August 12, 2009
For you Jimmy
that salty water, made its way
down the cheeks,
it drew 'someone's' name
the second it touched the lips...
Life always happened to moi
and that 'someone'
After watching "Marley and Me" I missed my Jimmy (The Parrot I was raised with)
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down the cheeks,
it drew 'someone's' name
the second it touched the lips...
Life always happened to moi
and that 'someone'
After watching "Marley and Me" I missed my Jimmy (The Parrot I was raised with)
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Thursday, April 2, 2009
bandhan
झूठे वायदे, जूठी उम्मीदों
के लग गले
आ बंधे हैं
अधपके बन्धनों के साथ...
शायद यह मैं थी..
या शायद तुम थे वो..
जो बंध के भी
बंध न पाए
या शायद यह वक़्त ही था
कुछ ऐसा....
जहाँ कीमत वक़्त की
वक़्त ही पहचान न पाया...
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के लग गले
आ बंधे हैं
अधपके बन्धनों के साथ...
शायद यह मैं थी..
या शायद तुम थे वो..
जो बंध के भी
बंध न पाए
या शायद यह वक़्त ही था
कुछ ऐसा....
जहाँ कीमत वक़्त की
वक़्त ही पहचान न पाया...
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Uljhan
ज़िन्दगी उलझी जाती है
बाहों में खुद के ही
उलझी बाहों में उलझी मैं
ज़िन्दगी की परछाई सी
ज़िन्दगी जीए जाती हूँ...
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बाहों में खुद के ही
उलझी बाहों में उलझी मैं
ज़िन्दगी की परछाई सी
ज़िन्दगी जीए जाती हूँ...
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Life...and its Shadows...
Life is strangled
in its own arms,
and I am in my strangled arms...
Shadows of my life are
living a life...
of my own,
in my own
shadows...
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@ staff retreat of LAYN
After looking at cjb...
in its own arms,
and I am in my strangled arms...
Shadows of my life are
living a life...
of my own,
in my own
shadows...
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@ staff retreat of LAYN
After looking at cjb...
today, yesterday and tomorrow...
Naked hopes...
Naked shadows...
all strangled in
today,
which is still stuck in
yesterday,
while looking over the
tomorrow...
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Naked shadows...
all strangled in
today,
which is still stuck in
yesterday,
while looking over the
tomorrow...
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Tuesday, March 31, 2009
स्वीकार..
जब अपनी ही परछाई बदलती रही आकार
तब किसे करूँ प्रश्न, किसे लगाऊं पुकार
सूनी दीवारों से आ लौटती है मेरी ही आवाज़
न मुझे जाना किसी ने, न जानने की ही रखी किसी ने आस
सूरज तो निकला हर रोज़ यूँ ही,
मेरी आखों तक ही न पहूँच पाया प्रकाश
दर-ओ-दिवार पे ख़ुशी खड़ी है,
अन्दर आने की उसे भी चाह बड़ी है
चाहत से भरी मेरी तन्हाई, रोके रास्ता उसका खड़ी है
शांत आवाजों में उलझी ख़ुशी, किनारे में जा पड़ी है
चाहत से भरी मेरी तन्हाई, रोके रास्ता उसका खड़ी है
शांत आवाजों में उलझी ख़ुशी, किनारे में जा पड़ी है
बन पाती मैं ही जो उस ख़ुशी का शिकार
मन को मिल ही जाता यह करार...
तब चाहे बदलती रहती आकार.....
मेरी परछाई हो पाती मुझे ही स्वीकार...
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Wednesday, January 28, 2009
The Death
Death came straight
from underneath his pillow,
Looking for the pale face
stuck with wires
just before
it took its darker shade,
Two blue eyes in the corner
became turquoise
and ocean found
its way out
through the mountains of cheeks!
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from underneath his pillow,
Looking for the pale face
stuck with wires
just before
it took its darker shade,
Two blue eyes in the corner
became turquoise
and ocean found
its way out
through the mountains of cheeks!
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