Wednesday, October 15, 2008

Do saal - Oct 15, 2008

ना तूफ़ान दिखा,
ना आंधी आई,
ना चमकी बिजली ही,
ना बुझी शमा ही...

बस यूँ ही गुज़र गया यह बरस भी,
बस यूँ ही बिगड़ गई उस की नज़र भी,
बस यूँ ही फेर ली गई शक्लो-सूरत भी,
बस यूँ ही देश अपना हो गया पराया,
बस यूँ ही उठ गया सर से वो साया,

दो साल हो गए आज...
छोडे उस मिट्टी को...
सूंघे उस खशबू को...
महसूस किए हुए,
उस शान की सभ्यता को...
जिगर से लगाये....
उस ईमान के इश्क को!

दो साल हो गए आज...
दो साल गुज़र गए
गुजरी यादों के साथ...

Copyright 2008 © Vim