Thursday, January 14, 2010

आवारापन

आवारापन, बंजारापन…
नसों में दौड़ता है, लहू के माफिक
और तैरता है उस में...
वो इक लम्हा,
बिताया तेरे संग जो
सजदे में…
इश्क के


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!!!

ना इशारे समझ आते हैं,
ना नज़ारे समझ आते हैं...
देखते हैं जब भी खुद को शीशे में,
हम बस मासूम से बेचारे नज़र आते हैं

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Tuesday, January 5, 2010

तू और तेरा साया

तेरी खुशबू में सिमट तो जाऊं मैं, लेकिन,
तेरी महक मिली नहीं कहीं.
तेरे दामन में छिप तो जाऊं लेकिन,
तेरा दामन नज़र में कहीं नहीं.
तुझे आँखों में छुपा तो लेती मैं,
लेकिन तू है 'किसी' की आँखों का तारा...

हमारा क्या है, जी लेंगे तेरी याद में
यादों में भी तो है साया छुपा सिर्फ तुम्हारा...

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