Thursday, January 14, 2010

आवारापन

आवारापन, बंजारापन…
नसों में दौड़ता है, लहू के माफिक
और तैरता है उस में...
वो इक लम्हा,
बिताया तेरे संग जो
सजदे में…
इश्क के


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